Sunday, 13 May 2018

पीटीईटी परीक्षा आज, तैयारियां पूरी

प्रतापगढ़.
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महर्षिदयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित पीटीईटी व चार वर्षीय बीए/बीएससी बीएड परीक्षा 13 मई को आयोजित की जाएगी। इसकी पूरी तैयारियां कर ली गई हैं।नकल रोकने के लिए उडऩदस्ते बनाए गए हैं। जिला परिषद सीईओ को परीक्षा का नोडल अधिकारी बनाया गया है। 
इस प्रकार होगी पीटीईटी परीक्षा
-07 सेंटर बनाए हैं जिला मुख्यालय पर 
-2895 परीक्षार्थीदेंगे परीक्षा
-दोपहर दो से 5 बजे तक होगी परीक्षा
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चार वर्षीय बीए/बीएससी बीएड परीक्षा 
-02 परीक्षा सेंटर बनाए है जिला मुख्यालय पर
-785 परीक्षार्थीदेंगे परीक्षा 
-परीक्षा दोपहर दो से पांच बजे तक होगी आयोजित

रहेंगी दो फ्लाइंग

परीक्षाओं की पूरी तैयारी कर ली है। दो फ्लाइंग बनाईहै। मोबाइल पर प्रवेश वर्जित है। परीक्षार्थी प्रवेश पत्र के साथ अपना आईडी प्रूव जरुर लेकर आए।
-डॉ. शांतिलाल शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक)

पदोन्नत सैकंड ग्रेड टीचर्स को पोस्टिंग जल्द मिलेगी

डूंगरपुर|

 माध्यमिक शिक्षा विभाग में वर्ष थर्ड ग्रेड से सैकंड ग्रेड पदों पर पदोन्नत हुए शिक्षकों को पोस्टिंग की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मंडलवार पदोन्नत 6731 शिक्षकों को काउंसलिंग के जरिए रिक्त पदों पर पदस्थापन दिया जाएगा। शिक्षा (ग्रुप-दो) विभाग के शासन उपसचिव ने इस संबंध में निदेशक माध्यमिक क को निर्देश जारी किए है। वर्ष 2018-19 की डीपीसी में प्रमोट हुए शिक्षकों को पोस्टिंग केलिए 15 से 25 मई तक काउंसलिंग कैंप आयोजित किए जाएंगे। 

आरटीयू के बैक पेपर की परीक्षा में परीक्षार्थियों को थमाया दूसरा पेपर, पेपर देखकर उड़ गए होश आरटीयू ने भेजे थे दो तरह के पेपर, एक संस्थान ने तय कोर्स से अलग पेपर दे दिया।

उदयपुर .

राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय(आरटीयू ), कोटा के वर्ष 2013 और वर्ष 2015 के बैक पेपर वाले विद्यार्थियों को शुक्रवार को हुई परीक्षा के दौरान उदयपुर में एक संस्थान ने तय कोर्स से अलग पेपर दे दिया। परीक्षार्थियों की आपत्ति के बावजूद विवि से कोई चर्चा करने के बजाय उन्हें वही पेपर हल करने को कहा गया।

अरावली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज में एक अन्य कॉलेज के परीक्षार्थियों का परीक्षा केन्द्र था। सुबह 10.30 से 1.30 बजे तक फ्लूड मैकेनिक (द्वितीय वर्ष-चौथा सेमेस्टर) का पेपर था, जबकि इन्हें तय पाठ्यक्रम के बजाय दूसरा पेपर दे दिया गया। ऐसे में जब परीक्षार्थियों ने आपत्ति जताई तो उन्हें यह कहकर बिठा दिया गया कि जो पेपर है, वही करना होगा। ऐसे में परीक्षार्थियों को मजबूरन वही पेपर लेकर बैठे रहना पड़ा। केन्द्र पर करीब 30 विद्यार्थी परीक्षा दे रहे थे।

अन्य कॉलेजों ने बदल दिए थे पेपर

अन्य परीक्षा केन्द्रों पर जब परीक्षार्थियों ने आपत्ति दर्ज करवाई थी तो पेपर बदल दिया गया था। ऐसे में उन्हें परीक्षा देने में कोई परेशानी नहीं हुई।

हमने यहां से दो पेपर भेजे थे। कॉलेजों को इसकी जानकारी भी भेज दी थी। वर्ष 2013 में जो स्कीम बदली थी, उसके आधार पर दो अलग -अलग पेपर थे। यदि किसी कॉलेज में ऐसा हुआ है, तो पता करते हैं, अभी तक इसकी जानकारी नहीं मिली है।
एके द्विवेदी, परीक्षा नियंत्रक, आरटीयू कोटा


हां, आज जानकारी मिली है कि परीक्षा में कुछ परेशानी आई थी। कल पूरा पता कर ही कुछ कहा जा सकता है।
ज्ञानसिंह सुरावत, प्रशासक, अरावली इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज

शिक्षक भर्ती : महिला वर्ग में प्रथम स्थान, मंडल आवंटित नहीं करने पर कोर्ट ने मांगा जवाब

शाहपुरा 

सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2016 के विज्ञान विषय से महिला वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने के बावजूद मेरिट के अनुसार मंडल आवंटित नहीं करने के मामले से जुड़ी याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई कर माध्यमिक शिक्षा विभाग के शासन सचिव एवं निदेशक को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। 

जिला निवासी संगीता कुमारी की ओर से दायर याचिका में एडवोकेट ने बताया कि प्रार्थिनी ने आरपीएससी की ओर से निकाली गई सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2016 में विज्ञान में ओबीसी महिला वर्ग में आवेदन किया था। भर्ती परीक्षा के परिणाम में प्रार्थिनी ने महिला वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त कर सामान्य वर्ग में चयन हो गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने चयनित अभ्यर्थियों से मंडल आवंटित करने के लिए विकल्प पत्र मांगे गए। इसमें प्रार्थिनी ने चुरू, जयपुर एवं बीकानेर मंडल की सर्वोच्च प्राथमिकता भरी थी लेकिन विभाग ने प्रार्थिनी की मेरिट एवं विकल्प पत्र में दी गई प्राथमिकता को नजर अंदाज कर उसे नियुक्ति के लिए उदयपुर मंडल आवंटित कर दिया। इससे कम मेरिट वाली महिला अभ्यर्थियों को जयपुर मंडल दे दिया। 

याचिका में बताया कि विभाग को मेरिट एवं विकल्प पत्र में दी गई वरीयता के अनुसार मंडल आवंटित करना चाहिए था लेकिन विभाग ने मनमाने तरीके से मंडल आवंटित किए। न्यायाधीश वीएस सिराधना ने शिक्षा विभाग को इस मामले में दो सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने के आदेश दिए। 

8वीं की किताब में बाल गंगाधर तिलक को बताया ‘आतंकवाद का जनक’

जयपुर. 

राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त अंग्रेजी माध्यम के निजी विद्यालयों में आठवीं कक्षा की किताब में बाल गंगाधर तिलक को ‘आतंकवाद का जनक’ बताया जा रहा है। किताब की पेज संख्या 267 पर 22वें अध्याय में तिलक के बारे में लिखा गया है कि उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन का रास्ता दिखाया था, इसलिए उन्हें ‘आतंकवाद का जनक’ कहा जाता है।

आठवीं तक की किताबों की जिम्मेदारी एसआईईआरटी की

- प्रदेश में कक्षा एक से आठ तक का पाठ्यक्रम एसआईईआरटी तैयार करता है। सैकंडरी से सीनियर सैकंडरी स्तर तक का कक्षा 9 से 12 तक के पाठ्यक्रम का निर्धारण राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के जिम्मे है। इन किताबों का प्रकाशन राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल करवाता है।

पद्मावती मामले में भी विवाद सामने आ चुके हैं

राजस्थान में पिछले 15 साल में ऐसे 4 मौके पहले भी आ चुके हैं जब राज्य का स्कूली पाठ्यक्रम बदल दिया गया है। हालत यह है कि देश में सर्वाधिक प्रतिष्ठित और सर्वमान्य माने जाने वाले एनसीआरटी के पाठ्यक्रम पर छपी किताबों को भी सरकार बदलने के साथ ही बदल दिया गया। राजस्थान बोर्ड की प्रकाशित किताबों में बहुचर्चित पद्मावती प्रकरण से संबंधित विषयवस्तु को लेकर भी विवाद सामने आ चुके हैं।

शिक्षा विभाग ने दी छूट, अब इन अध्यापकों को नहीं लेना पड़ेगा प्रशिक्षण उन वरिष्ठ शिक्षकों को अब प्रशिक्षण नहीं लेना पड़ेगा जो पहले प्रशिक्षण ले चुके है।

बीकानेर .

उन वरिष्ठ शिक्षकों को अब प्रशिक्षण नहीं लेना पड़ेगा जो पहले प्रशिक्षण ले चुके है। वर्ष 2015 के बाद प्रशिक्षित इन शिक्षकों के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी जिला परियोजना समन्वयकों को छूट देने के आदेश दे दिए है।

परिषद के अतिरिक्त राज्य परियोजना निदेशक सुरेश चंद्र ने आदेश में कहा कि प्रशिक्षणार्थियों की सूची में शामिल ऐसे शिक्षकों को पिछले 2 सालों में प्रशिक्षण प्राप्त करने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। जिसके आधार पर जिला परियोजना समन्वयक छूट देंगे।

पत्रिका ने उठाया था मामला

पत्रिका ने अपने 11 मई के अंक में 'सूची में डाले प्रशिक्षण ले चुके शिक्षकों के नामÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर विभागीय भूल का मामला उठाया था। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद हरकत में आया और शिक्षकों
को पुन: प्रशिक्षण नहीं लेने की छूट दे दी।

  गलती करने वालों को नोटिस परिषद ने ऐसे शिक्षकों के स्थान पर अब तक प्रशिक्षण नहीं लेने वालो शिक्षकों को शामिल करने के निर्देश भी दिए है। साथ ही उन संस्था प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए कहा है जिन्होंने प्रशिक्षार्थियों की सूची में पूर्व में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके शिक्षकों के नाम दर्ज कर दिए थे।

सेवानिवृत्ति वालों को भी छूट

प्रशिक्षण ने उन वरिष्ठ शिक्षकों को भी छूट दी है जिनके सेवानिवृत्त होने में केवल एक साल का समय शेष है। साथ ही गंभीर बीमारी से पीडि़त, गर्भवती शिक्षिका, जिस शिक्षिका के छह माह तक के बच्चे है, उन्हें भी प्रशिक्षण से छूट मिल सकती है। साथ ही 3 साल तक के बच्चों वाली शिक्षिकाओं को आवास में रहने की बाध्यता से अलग रखा गया है।

Saturday, 12 May 2018

हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों में फीस निर्धारण एक्ट के क्रियान्वयन पर लगाई अंतरिम रोक

राजसमंद |

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास और रामचंद्रसिंह झाला की खंडपीठ ने बुधवार को विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की। खंडपीठ ने शिक्षा सचिव को निर्देश दिए कि जब तक निजी स्कूलों की फीस निर्धारण के लिए बनाए गए एक्ट पर सुनवाई चल रही है, तब तक इस संबंध में एक्ट को क्रियान्वयन नहीं कर प्रदेश के किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करें। राजसमंद के लक्ष्मीपत सिंहानिया स्कूल, मयूर पब्लिक स्कूल, गांधी सेवा सदन स्कूल, ऑरेंज काउंटी स्कूल, श्रीजी पब्लिक स्कूल, क्रिएटिव ब्रेन एकेडमी, सुभाष पब्लिक स्कूल, प्रगति स्कूल एमडी सहित 8 निजी स्कूलों और जोधपुर के सेंटपॉल स्कूल की ओर से पेश याचिका पर यह निर्णय हुआ। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष सिसोदिया ने राज्य सरकार की ओर से 2013 में फीस निर्धारण के लिए बनाए एक्ट को खत्म कर वर्ष 2016 में लागू किए गए नए एक्ट के खिलाफ याचिका दायर की। नए एक्ट के अनुसार निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए टीचर और अभिभावकों की कमेटी बनाई जानी थी। कमेटी ही फीस का निर्धारण कर राज्य सरकार से अप्रूवल लेगी। सिसोदिया ने तर्क दिया कि फीस निर्धारण से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। सरकार इन स्कूलों को किसी तरह का अनुदान ही नहीं देती है। केवल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता ली जाती है। पीएनए पाय फाउंडेशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है कि गैर सरकारी स्कूलों और गैर सरकारी कॉलेजों में सरकार तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकती, जब तक वे मुनाफाखोरी नहीं कर रहे हो।बहुत ज्यादा फीस लेने या मुनाफाखोरी की स्थिति में हस्तक्षेप किया जा सकता है, अन्यथा बिल्कुल नहीं। फीस निर्धारण करने का अधिकार निजी स्कूल का है, उसमें हस्तक्षेप करना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। अधिवक्ता सिसोदिया ने कोर्ट का इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि मामले में पहले ही कोर्ट ने 10 अप्रैल को कुछ भी कार्रवाई नहीं करने के मौखिक निर्देश दे रखे हैं, फिर जिला शिक्षा अधिकारी स्टे नहीं होने का उल्लेख करते हुए नोटिस दे रहे है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए एएजी राजेश पंवार और अधिवक्ता श्याम पालीवाल को निर्देश दिए कि वे शासन सचिव (ग्रुप पांच) को इसकी जानकारी दे कि प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देशित करे कि जब तक मामले में निर्णय नहीं आता, तब तक एक्ट के क्रियान्वयन की कोई कार्रवाई नहीं करें। इसके बावजूद कार्रवाई करने पर शासन सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।

राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर वायरल से बचने के लिए उठाया यह बड़ा कदम प्रश्न पत्र का पैकेट खोलने से लेकर परीक्षा होने तक मोबाइल प्रतिबंधित, प्रश्न पत्र वायरल होने के मामलों पर विवि ने बढ़ाई सुरक्षा


बांसवाड़ा.

प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में एक के बाद एक नकल व प्रश्नपत्र आउट तथा वायरल होने के मामले सामने आने के बाद पीटीईटी व बीएबीएड व बीएससी बीएड परीक्षा का जिम्मा संभाल रहे एमडीएस विश्वविद्यालय ने सुरक्षा प्रबंध और सख्त करने का निर्णय किया है। इसके तहत परीक्षा केन्द्रों पर मोबाइल प्रतिबंध कर दिया है। परीक्षार्थियों के लिए निर्देश के बाद अब वीक्षक, कर्मचारी व अधिकारियों को भी परीक्षा केन्द्र पर मोबाइल लाने पर रोक लगा दी गई है। पीटीईटी समन्वयक ने जिला समन्वयकों को परीक्षा केन्द्रों पर मोबाइल का उपयोग नहीं करने के लिए पर्यवेक्षकों एव केन्द्राधीक्षकों को निर्देश जारी करने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न बीएसटीसी में आंसर की वायरल होने को लेकर चार वीक्षकों के नाम सामने आए। इसके बाद यह निर्णय किया गया। पत्र में बताया कि परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व केन्द्र पर प्रश्न पत्र पैकेट खोलने के दौरान केन्द्र पर्यवेक्षक एवं केन्द्राधीक्षक सहित किसी भी अधिकारी व कर्मचारी के पास मोबाइल नहीं होना चाहिए। परीक्षा के दौरान भी मात्र केन्द्र पर्यवेक्षक एवं केन्द्राधीक्षक ही विशेष कार्य तथा सूचनाओं के लिए मोबाइल का प्रयोग कर सकेंगे। कर्मचारी/अधिकारी एवं वीक्षक मोबाइल लेकर परीक्षा केन्द्र में प्रवेश ही नहीं कर सकेंगे। प्रदेश में उठाए गए इस कदम से काफी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

निर्देश दिए हैं

परीक्षा केन्द्रों पर मोबाइल लाने से कई प्रकार की परेशानियां उपजती हैं। वीक्षकों को मोबाइल लाने की अनुमति नहीं है। इस पर विशेष ध्यान
रखा जाएगा। कर्मचारी व अन्य अधिकारियों को भी मोबाइल केन्द्र पर लाने से रोका जाएगा।
प्रो. बीपी सारस्वत, समन्वयक, पीटीईटी 2018, एमडीएस विवि, अजमेर

उदासीनता के भगोने में फट गया बच्चों का सरकारी दूध ढाई माह बाद भी अमलीजामा नहीं पहन पाई योजना स्कूली बच्चों को इस सत्र में नहीं मिल पाया दूध

डूंगरपुर.

सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा बच्चों को तंदुरस्त बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने अपने अंतिम अभिभाषण में स्कूली बच्चों को मिड-डे मील के तहत दूध पिलाने की घोषणा की थी। लेकिन, हालात यह रहे कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकारी मशीनरी की उदासीनता के चलते यह दूध कागजों से बाहर ही नहीं निकल पाया।

यह थी योजना

मुख्यमंत्री ने १२ फरवरी २०१८ को मौजूदा सरकार के अंतिम बजट में मिड डे मील के तहत सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को सप्ताह में तीन दिन दूध देने की घोषणा की थी। इसके बाद माध्यमिक एवं प्रारम्भिक शिक्षा विभाग से लाभार्थी छात्र-छात्राओं की नामजद कक्षा व आयु वार सूचियां भी तैयार करवाई गई। लेकिन, यह सूचनाएं पड़ी-पड़ी तीन माह से दूध की तरह जम गई। कुछ दिनों पूर्व राजस्थान कॉ-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की ओर से भी सूचनाएं संग्रहित करवाई गई थी।

मिड डे मील: दूध वितरण योजना

एमडीएम के तहत चिन्हित स्कूल : २२१८
दूध के लिए प्राथमिक शिक्षा विभाग में चयनित विद्यार्थी : १ लाख 33 हजार 867
माध्यमिक शिक्षा विभाग में चयनित विद्यार्थी : ७८ हजार ४८१
एक सत्र में देना था दूध : 2३0 दिन

योजना लागू करना आसां नहीं

शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि दूध का वितरण दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों तक सुनिश्चित करना बहुत जटिल कार्य है। दूध एक निश्चित समय के बाद फट जाता है और उसको संभालने में भी काफी दिक्कत होती है। स्कूल तक यदि दूध पैकेट्स के माध्यम से पहुंचाया जाए, तो रोजाना उपस्थिति के आंकड़े अलग होते हैं। ऐेसे में दुरुपयोग की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, स्कूल प्रशासन को अपने स्तर पर दूध की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए, तो दूध की गुणवत्ता बनी रहनी संभव नहीं है। वहीं, शिक्षकों के सामने नई मुसीबत आएगी।

अधिकारी ने कहा...

. मुख्यालय से लाभार्थियों की सूचियां तैयार करने के निर्देश मिले थे। यह तैयार कर भेज दी है। संभवतया आगामी सत्र से योजना मूर्तरूप ले सकती है।
- मणिलाल छगण, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक

राजस्थान में आए आंधी-तूफान ने आखिर लगा दी सरकारी तबादलों पर रोक, हजारों सरकारी कर्मचारी परेशान

जयपुर

राजस्थान में आए आंधी तूफान के बीच तबादले चाहने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। आंधी और तूफान के चलते सरकार ने कुछ विभागों के तबादलों पर आगामी आदेशों तक रोक लगा दी है। इन आदेशों के चलते अब हजारों कर्मचारी परेशान हैं। प्रदेश के सरकारी विभाग दो महीनों से इन तबादलों में जुटे हैं। लाखों कर्मचारियों की लिस्टें तैयार हैं और आने वाले कुछ दिनों में सूचियां भी जारी होनी है। लेकिन आंधी-अंधड़ के चलते अब परेशानी शुरु हो गई है।

आंधी तूफान से प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुई क्षति के कारण बिजली विभाग में भी 30 जून तक स्थानांतरण करने पर बैन लगा दिया गया है। न्याय आपके द्वार कार्यक्रम के तहत राजस्व विभाग में तबादले पर फिलहाल रोक लगाई गई है। सरकार की ओर से यह भी मैसेज है कि जून तक तबादलों की गति थोड़ी धीरे रखी जाए, जिससे न्याय आपके द्वार कार्यक्रम प्रभावित न होने पाए। उसके बाद तेज गति से तबादले किए जाए, जिससे हर व्यक्ति को राहत दी जा सके।

गौरतलब है कि प्रशासनिक सुधार विभाग ने चुनावी साल में 12 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया था। उसके बाद से मंत्रियों के पास डिजायर आनी शुरू हो गई थी। चुनावी साल होने के कारण इस साल तबादलों की डिजायर सबसे ज्यादा है। सरकार ऑन लाइन और मैनुअल तबादले फार्म ले रही है।

सबसे ज्यादा शिक्षक चाहते हैं तबादले

सबसे अधिक 80 हजार डिजायर तो अकेले शिक्षा विभाग में आई हैं। शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल से तबादला कैंप शुरू कर दिया है। सूची जारी होने का काम 15 मई से शुरू हो सकता है। विभाग ने अभी तृतीय श्रेणी शिक्षकों से ही आवेदन मांगे हैं और गाइडलाइन जारी की गई है। तबादलों से प्रतिबंध हटने के दो माह बाद भी वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता, हैडमास्टर और प्रिंसिपल के तबादलों को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इन केटेगरी के करीब 20 हजार शिक्षक तबादले के लिए आवेदन जमा करा चुके हैं। कृषि विभाग, पुलिस विभाग, बिजली और पानी विभाग, समेत दस से भी ज्यादा अन्य विभागों में करीब साठ हजार कर्मचारियों ने तबादले मांगे हैं।

135 दिन बाद एक सितंबर से खुलेंगे स्कूल:9वीं-11वीं की सुबह 7:30 से 12:30 तक लगेगी क्लास, 10वीं-12वीं वालों को 8 बजे से जाना होगा, पेरेंट्स की लिखित में अनुमति जरूरी...

 बीकानेर लेखक: दिलीप सिंह पंवार बीकानेर जिले में 56 और सबसे अधिक बाड़मेर जिले में 113 स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया है। - Dainik Bhaskar बीक...