Saturday, 12 May 2018

हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों में फीस निर्धारण एक्ट के क्रियान्वयन पर लगाई अंतरिम रोक

राजसमंद |

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास और रामचंद्रसिंह झाला की खंडपीठ ने बुधवार को विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की। खंडपीठ ने शिक्षा सचिव को निर्देश दिए कि जब तक निजी स्कूलों की फीस निर्धारण के लिए बनाए गए एक्ट पर सुनवाई चल रही है, तब तक इस संबंध में एक्ट को क्रियान्वयन नहीं कर प्रदेश के किसी भी निजी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं करें। राजसमंद के लक्ष्मीपत सिंहानिया स्कूल, मयूर पब्लिक स्कूल, गांधी सेवा सदन स्कूल, ऑरेंज काउंटी स्कूल, श्रीजी पब्लिक स्कूल, क्रिएटिव ब्रेन एकेडमी, सुभाष पब्लिक स्कूल, प्रगति स्कूल एमडी सहित 8 निजी स्कूलों और जोधपुर के सेंटपॉल स्कूल की ओर से पेश याचिका पर यह निर्णय हुआ। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष सिसोदिया ने राज्य सरकार की ओर से 2013 में फीस निर्धारण के लिए बनाए एक्ट को खत्म कर वर्ष 2016 में लागू किए गए नए एक्ट के खिलाफ याचिका दायर की। नए एक्ट के अनुसार निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए टीचर और अभिभावकों की कमेटी बनाई जानी थी। कमेटी ही फीस का निर्धारण कर राज्य सरकार से अप्रूवल लेगी। सिसोदिया ने तर्क दिया कि फीस निर्धारण से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। सरकार इन स्कूलों को किसी तरह का अनुदान ही नहीं देती है। केवल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता ली जाती है। पीएनए पाय फाउंडेशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है कि गैर सरकारी स्कूलों और गैर सरकारी कॉलेजों में सरकार तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकती, जब तक वे मुनाफाखोरी नहीं कर रहे हो।बहुत ज्यादा फीस लेने या मुनाफाखोरी की स्थिति में हस्तक्षेप किया जा सकता है, अन्यथा बिल्कुल नहीं। फीस निर्धारण करने का अधिकार निजी स्कूल का है, उसमें हस्तक्षेप करना उसके मौलिक अधिकारों का हनन है। अधिवक्ता सिसोदिया ने कोर्ट का इस ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि मामले में पहले ही कोर्ट ने 10 अप्रैल को कुछ भी कार्रवाई नहीं करने के मौखिक निर्देश दे रखे हैं, फिर जिला शिक्षा अधिकारी स्टे नहीं होने का उल्लेख करते हुए नोटिस दे रहे है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए एएजी राजेश पंवार और अधिवक्ता श्याम पालीवाल को निर्देश दिए कि वे शासन सचिव (ग्रुप पांच) को इसकी जानकारी दे कि प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देशित करे कि जब तक मामले में निर्णय नहीं आता, तब तक एक्ट के क्रियान्वयन की कोई कार्रवाई नहीं करें। इसके बावजूद कार्रवाई करने पर शासन सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।

राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर वायरल से बचने के लिए उठाया यह बड़ा कदम प्रश्न पत्र का पैकेट खोलने से लेकर परीक्षा होने तक मोबाइल प्रतिबंधित, प्रश्न पत्र वायरल होने के मामलों पर विवि ने बढ़ाई सुरक्षा


बांसवाड़ा.

प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में एक के बाद एक नकल व प्रश्नपत्र आउट तथा वायरल होने के मामले सामने आने के बाद पीटीईटी व बीएबीएड व बीएससी बीएड परीक्षा का जिम्मा संभाल रहे एमडीएस विश्वविद्यालय ने सुरक्षा प्रबंध और सख्त करने का निर्णय किया है। इसके तहत परीक्षा केन्द्रों पर मोबाइल प्रतिबंध कर दिया है। परीक्षार्थियों के लिए निर्देश के बाद अब वीक्षक, कर्मचारी व अधिकारियों को भी परीक्षा केन्द्र पर मोबाइल लाने पर रोक लगा दी गई है। पीटीईटी समन्वयक ने जिला समन्वयकों को परीक्षा केन्द्रों पर मोबाइल का उपयोग नहीं करने के लिए पर्यवेक्षकों एव केन्द्राधीक्षकों को निर्देश जारी करने को कहा है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न बीएसटीसी में आंसर की वायरल होने को लेकर चार वीक्षकों के नाम सामने आए। इसके बाद यह निर्णय किया गया। पत्र में बताया कि परीक्षा प्रारंभ होने से पूर्व केन्द्र पर प्रश्न पत्र पैकेट खोलने के दौरान केन्द्र पर्यवेक्षक एवं केन्द्राधीक्षक सहित किसी भी अधिकारी व कर्मचारी के पास मोबाइल नहीं होना चाहिए। परीक्षा के दौरान भी मात्र केन्द्र पर्यवेक्षक एवं केन्द्राधीक्षक ही विशेष कार्य तथा सूचनाओं के लिए मोबाइल का प्रयोग कर सकेंगे। कर्मचारी/अधिकारी एवं वीक्षक मोबाइल लेकर परीक्षा केन्द्र में प्रवेश ही नहीं कर सकेंगे। प्रदेश में उठाए गए इस कदम से काफी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

निर्देश दिए हैं

परीक्षा केन्द्रों पर मोबाइल लाने से कई प्रकार की परेशानियां उपजती हैं। वीक्षकों को मोबाइल लाने की अनुमति नहीं है। इस पर विशेष ध्यान
रखा जाएगा। कर्मचारी व अन्य अधिकारियों को भी मोबाइल केन्द्र पर लाने से रोका जाएगा।
प्रो. बीपी सारस्वत, समन्वयक, पीटीईटी 2018, एमडीएस विवि, अजमेर

उदासीनता के भगोने में फट गया बच्चों का सरकारी दूध ढाई माह बाद भी अमलीजामा नहीं पहन पाई योजना स्कूली बच्चों को इस सत्र में नहीं मिल पाया दूध

डूंगरपुर.

सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा बच्चों को तंदुरस्त बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने अपने अंतिम अभिभाषण में स्कूली बच्चों को मिड-डे मील के तहत दूध पिलाने की घोषणा की थी। लेकिन, हालात यह रहे कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकारी मशीनरी की उदासीनता के चलते यह दूध कागजों से बाहर ही नहीं निकल पाया।

यह थी योजना

मुख्यमंत्री ने १२ फरवरी २०१८ को मौजूदा सरकार के अंतिम बजट में मिड डे मील के तहत सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को सप्ताह में तीन दिन दूध देने की घोषणा की थी। इसके बाद माध्यमिक एवं प्रारम्भिक शिक्षा विभाग से लाभार्थी छात्र-छात्राओं की नामजद कक्षा व आयु वार सूचियां भी तैयार करवाई गई। लेकिन, यह सूचनाएं पड़ी-पड़ी तीन माह से दूध की तरह जम गई। कुछ दिनों पूर्व राजस्थान कॉ-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड की ओर से भी सूचनाएं संग्रहित करवाई गई थी।

मिड डे मील: दूध वितरण योजना

एमडीएम के तहत चिन्हित स्कूल : २२१८
दूध के लिए प्राथमिक शिक्षा विभाग में चयनित विद्यार्थी : १ लाख 33 हजार 867
माध्यमिक शिक्षा विभाग में चयनित विद्यार्थी : ७८ हजार ४८१
एक सत्र में देना था दूध : 2३0 दिन

योजना लागू करना आसां नहीं

शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि दूध का वितरण दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों तक सुनिश्चित करना बहुत जटिल कार्य है। दूध एक निश्चित समय के बाद फट जाता है और उसको संभालने में भी काफी दिक्कत होती है। स्कूल तक यदि दूध पैकेट्स के माध्यम से पहुंचाया जाए, तो रोजाना उपस्थिति के आंकड़े अलग होते हैं। ऐेसे में दुरुपयोग की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, स्कूल प्रशासन को अपने स्तर पर दूध की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा जाए, तो दूध की गुणवत्ता बनी रहनी संभव नहीं है। वहीं, शिक्षकों के सामने नई मुसीबत आएगी।

अधिकारी ने कहा...

. मुख्यालय से लाभार्थियों की सूचियां तैयार करने के निर्देश मिले थे। यह तैयार कर भेज दी है। संभवतया आगामी सत्र से योजना मूर्तरूप ले सकती है।
- मणिलाल छगण, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक

राजस्थान में आए आंधी-तूफान ने आखिर लगा दी सरकारी तबादलों पर रोक, हजारों सरकारी कर्मचारी परेशान

जयपुर

राजस्थान में आए आंधी तूफान के बीच तबादले चाहने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। आंधी और तूफान के चलते सरकार ने कुछ विभागों के तबादलों पर आगामी आदेशों तक रोक लगा दी है। इन आदेशों के चलते अब हजारों कर्मचारी परेशान हैं। प्रदेश के सरकारी विभाग दो महीनों से इन तबादलों में जुटे हैं। लाखों कर्मचारियों की लिस्टें तैयार हैं और आने वाले कुछ दिनों में सूचियां भी जारी होनी है। लेकिन आंधी-अंधड़ के चलते अब परेशानी शुरु हो गई है।

आंधी तूफान से प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुई क्षति के कारण बिजली विभाग में भी 30 जून तक स्थानांतरण करने पर बैन लगा दिया गया है। न्याय आपके द्वार कार्यक्रम के तहत राजस्व विभाग में तबादले पर फिलहाल रोक लगाई गई है। सरकार की ओर से यह भी मैसेज है कि जून तक तबादलों की गति थोड़ी धीरे रखी जाए, जिससे न्याय आपके द्वार कार्यक्रम प्रभावित न होने पाए। उसके बाद तेज गति से तबादले किए जाए, जिससे हर व्यक्ति को राहत दी जा सके।

गौरतलब है कि प्रशासनिक सुधार विभाग ने चुनावी साल में 12 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया था। उसके बाद से मंत्रियों के पास डिजायर आनी शुरू हो गई थी। चुनावी साल होने के कारण इस साल तबादलों की डिजायर सबसे ज्यादा है। सरकार ऑन लाइन और मैनुअल तबादले फार्म ले रही है।

सबसे ज्यादा शिक्षक चाहते हैं तबादले

सबसे अधिक 80 हजार डिजायर तो अकेले शिक्षा विभाग में आई हैं। शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल से तबादला कैंप शुरू कर दिया है। सूची जारी होने का काम 15 मई से शुरू हो सकता है। विभाग ने अभी तृतीय श्रेणी शिक्षकों से ही आवेदन मांगे हैं और गाइडलाइन जारी की गई है। तबादलों से प्रतिबंध हटने के दो माह बाद भी वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता, हैडमास्टर और प्रिंसिपल के तबादलों को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इन केटेगरी के करीब 20 हजार शिक्षक तबादले के लिए आवेदन जमा करा चुके हैं। कृषि विभाग, पुलिस विभाग, बिजली और पानी विभाग, समेत दस से भी ज्यादा अन्य विभागों में करीब साठ हजार कर्मचारियों ने तबादले मांगे हैं।

तबादले के लिए सवा लाख आवेदन, जून तक ट्रांसफर देने की गति धीरे रखने कहा गया

जयपुर.

 दो माह से तबादलों काे लेकर मंत्री-अफसरों के यहां कर्मचारियों का मेला लगा है, जिसमें सवा लाख आवेदन आ चुके हैं। सबसे अधिक 80 हजार डिजायर तो अकेले शिक्षा विभाग में आई हैं। मंत्रियों और सचिवों के स्तर पर सूचियां तैयार की जा रही हैं। कुछ विभागों ने तबादलों की सूचियां जारी करनी शुरू कर दी है, जबकि स्कूल व कॉलेज शिक्षा महकमों से स्थानांतरण सूची 15 मई से जारी होना शुरू होगी। बता दें कि प्रशासनिक सुधार विभाग ने चुनावी साल में 12 मार्च को अनिश्चितकाल के लिए तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया था। उसके बाद से मंत्रियों के पास डिजायर आनी शुरू हो गई थी। 

जून तक तबादलों की गति धीरे रखने कहा गया

- न्याय आपके द्वार कार्यक्रम के तहत राजस्व विभाग में तबादले पर फिलहाल रोक लगाई गई है। आंधी तूफान से प्रदेश में बड़े पैमाने पर हुई क्षति के कारण बिजली विभाग में भी 30 जून तक स्थानांतरण करने पर बैन लगा दिया गया है।

- सरकार की ओर से यह भी मैसेज है कि जून तक तबादलों की गति थोड़ी धीरे रखी जाए, जिससे न्याय आपके द्वार कार्यक्रम प्रभावित न होने पाए। उसके बाद तेज गति से तबादले किए जाए, जिससे हर व्यक्ति को राहत दी जा सके।

शिक्षा विभाग में तबादले के लिए 80 हजार आवेदन

शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल से तबादला कैंप शुरू कर दिया है। सूची जारी होने का काम 15 मई से शुरू हो सकता है। विभाग ने अभी तृतीय श्रेणी शिक्षकों से ही आवेदन मांगे हैं और गाइडलाइन जारी की गई है। तबादलों से प्रतिबंध हटने के दो माह बाद भी वरिष्ठ अध्यापक, व्याख्याता, हैडमास्टर और प्रिंसिपल के तबादलों को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुई है। इन केटेगरी के करीब 20 हजार शिक्षक तबादले के लिए आवेदन जमा करा चुके हैं।

परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों की तरह अब वीक्षक, कर्मचारी व अधिकारी भी नहीं ले जा सकेंगे मोबाइल

पीटीईटी आैर बीएबीएड व बीएससीबीएड प्रवेश परीक्षा 13 मई को सभी जिला मुख्यालयों पर आयोजित की जाएगी। राज्यभर में इन परीक्षाओं में चार लाख विद्यार्थी बैठेंगे। सुरक्षा की दृष्टि से परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों की तरह अब वीक्षक, कर्मचारी आैर अधिकारी भी मोबाइल नहीं ले जा सकेंगे। प्रश्न पत्र खुलने से लेकर परीक्षा समाप्त होने तक मोबाइल पर प्रतिबंध रहेगा। सभी जिला पर्यवेक्षकों को इस बारे में दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। 

सख्ती

पीटीईटी आैर बीएबीएड व बीएससीबीएड की प्रवेश परीक्षा 

अति आवश्यक है तो केंद्र पर्यवेक्षक व केंद्राधीक्षक कर सकेंगे मोबाइल इस्तेमाल

आधिकारिक सूचना के अनुसार परीक्षा के दौरान केंद्र पर्यवेक्षक आैर केंद्राधीक्षक अति आवश्यक होने पर विशेष कार्य के लिए मोबाइल का इस्तेमाल कर सकेंगे। इसके लिए केंद्राधीक्षक को प्रमाण पत्र देना होगा कि प्रश्न पत्र खोले जाने से लेकर परीक्षा समाप्ति तक किसी भी वीक्षक, कार्मिक आैर अधिकारी द्वारा मोबाइल फोन आैर कैमरे का इस्तेमाल नहीं किया गया। 

हर जिले में पर्यवेक्षक व विशेष पर्यवेक्षक

हर जिले में पर्यवेक्षक आैर विशेष जिला पर्यवेक्षकों के साथ अतिरिक्त जिला पर्यवेक्षक लगाए गए हैं। हर जिले में एक विश्वविद्यालय पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया गया है, जो कि विश्वविद्यालय से परीक्षा सामाग्री लेकर प्रत्येक जिले में जाएंगे। परीक्षा अवधि के दौरान औचक निरीक्षण के लिए जिला प्रशासन आैर विश्वविद्यालय द्वारा फ्लाइंग स्कवाड की भी नियुक्ति की गई है। 

हर परीक्षा केंद्र पर तैनात रहेगी पुलिस

 राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर आयोजित इन परीक्षाओं के सभी परीक्षा केंद्रों पर दो-दो पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे जो कि प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के साथ कानून व शांति व्यवस्था बनाएंगे। परीक्षा की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। सभी परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा सामाग्री आज सुबह 7 बजे से भेजना शुरू होगा। इसके लिए दल गठित किए गए हैं, परीक्षा समाप्ति यानि 13 मई को शाम के बाद यह दल परीक्षा सामाग्री लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी वापस पहुंचेंगे। 

कितने स्कूलों में हैं टॉयलेट्स, लड़के व लड़कियों के अलग कितने हैं- हाईकोर्ट ने मांगा ब्यौरा

जयपुर.

हाईकोर्ट ने प्रदेश के बालिका स्कूलों में टॉयलेट्स व पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट सहित यह बताने के लिए कहा है कि कितने स्कूलों में टॉयलेट्स हैं, उनमें से कितने टॉयलेट्स लड़के व लड़कियों के अलग-अलग हैं। इसके अलावा यह भी बताएं कि कितने टॉयलेट्स में सफाई की व्यवस्था है। वहीं अदालत ने स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था को लेकर भी विभाग से रिपोर्ट मांगी है।

- न्यायाधीश केएस झवेरी व वीके व्यास की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश राधा शेखावत की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

- गौरतलब है कि अदालत ने मामले में पूर्व में सुनवाई करते हुए कहा था कि मामला टॉयलेट्स व पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का है जो गंभीर है।

- यह विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने का कारण भी है। इस मामले में 20 फरवरी 2015 को विस्तृत आदेश दिया था। जिसके पालन में सरकार ने 4 मई 2016 को प्रगति रिपोर्ट पेश की थी।

याचिका में क्या कहा गया

- याचिका में कहा था कि प्रदेश के स्कूलों में टॉयलेट सहित अन्य सुविधाएं नहीं होने के कारण छात्राएं दिन प्रतिदिन स्कूल छोड़ रही हैं।

- स्कूल व अन्य शैक्षणिक संस्थानों में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण छात्राओं की पढ़ाई पूरी नहीं हो रही। यदि उन्हें सुविधाएं मिलें तो वे पढ़ाई कर अपना कॅरियर बना सकती हैं। इसलिए स्कूलों में टॉयलेट्स सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।

सरकारी नौकरी में नियुक्ति पर युवाओं को शुरू के 5 साल तक सेना में तैनाती का मानस बना रही है सरकार

Bhaskar News Network | May 12,2018 07:10:03 AM IST
+2
भास्कर संवाददाता श्रीगंगानगर।

वर्तमान समय में भारतीय सेना जवानों की कमी से जूझ रही है, जिसे वक्त रहते पूरा करने की आवश्यकता है। सरकार देश में विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी नौकरी में नियुक्ति पर प्रारंभिक 5 साल तक युवाओं को सेना में तैनाती का मानस बना रही है। यह बात शुक्रवार को कैप्टन मोहम्मद यूनुस खान ने स्पैंगल पब्लिक स्कूल में आयोजित कॅरिअर इन डिफेंस सेमिनार में कही। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी से पहले अगर लोगों को सेना की सर्विस में लगाया जाएगा तो वे ज्यादा अनुशासित होंगे। इस तरह का बदलाव चीन, इजरायल व जापान सहित कई देश पहले ही कर चुके हैं। सेमिनार की शुरुआत में वक्ताओं ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया। कैप्टन नितिन यादव ने छात्र-छात्राओं में देशभक्ति का जज्बा भरते हुए कहा कि वर्दी में सजे-धजे किसी भी फौजी अफसर को देखते ही सीना गर्व से तन जाता है, फौजी वर्दी में सजे ये युवा अधिकारी हजारों की भीड़ में अलग दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा युवा अधिकारी केवल रोजी-राेटी कमाने के उद्देश्य से ही सेना में भर्ती नहीं होते हैं बल्कि जीवन में कुछ कर दिखाने के जोश-जुनून, कर्तव्य पालन और उससे भी बढ़कर देश की अस्मिता की रक्षा करने की दृढ़ इच्छा रखते हैं। इस मौके पर स्कूल के प्रबंधक नितिन अग्रवाल व प्राचार्य विष्णु स्वामी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

135 दिन बाद एक सितंबर से खुलेंगे स्कूल:9वीं-11वीं की सुबह 7:30 से 12:30 तक लगेगी क्लास, 10वीं-12वीं वालों को 8 बजे से जाना होगा, पेरेंट्स की लिखित में अनुमति जरूरी...

 बीकानेर लेखक: दिलीप सिंह पंवार बीकानेर जिले में 56 और सबसे अधिक बाड़मेर जिले में 113 स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया है। - Dainik Bhaskar बीक...