जोधपुर.
राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील याचिकाओं को स्वीकार करते हुए तीन बच्चे होने पर आवेदक को अनुकंपा नौकरी देने के योग्य नहीं माना है। खंडपीठ ने इस मामले में एकलपीठ द्वारा दिए गए आदेश को भी अपास्त कर दिया।
- राज्य सरकार की ओर से एएजी एसएस लदरेचा ने अपील याचिका दायर कर कोर्ट को बताया, कि ज्ञानचंद, मांगूसिंह व सुरेश चंद सैनी ने अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया। इनके पिता अलग-अलग विभाग में कार्यरत थे। संबंधित विभाग ने यह कहते हुए नौकरी देने से इनकार कर दिया, कि इन सभी आवेदकों के एक जून 2002 के बाद तीन संतान है। अनुकंपा नौकरी देने के लिए बने हुए नियम के अनुसार एक जून 2002 के बाद दो से ज्यादा संतान नहीं होनी चाहिए।
- एएजी लदरेचा ने कोर्ट को यह भी बताया, कि एकलपीठ ने तीनों रेस्पोडेंट को अनुकंपा नौकरी देने के आदेश दिए हैं, जो कि अनुचित है। अनुकंपा नौकरी देने के नियमों में संशोधन के बाद दो से ज्यादा बच्चे होने पर किसी भी सूरत में अनुकंपा नौकरी देने के लिए आवेदन को कंसीडर नहीं किया जा सकता है। रेस्पाेडेंट की ओर से एकलपीठ के आदेश को उचित ठहराया गया।
- दोनों पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने स्पष्ट किया, कि नियमों के अनुसार दो से ज्यादा संतान होने पर अनुकंपा नौकरी नहीं दी जा सकती। खंडपीठ ने राज्य स्वीकार की अपील याचिकाएं स्वीकार करते हुए एकलपीठ के 3 फरवरी 2014, 25 मार्च 2014 व 3 नवंबर 2014 को दिए आदेश को अपास्त कर दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील याचिकाओं को स्वीकार करते हुए तीन बच्चे होने पर आवेदक को अनुकंपा नौकरी देने के योग्य नहीं माना है। खंडपीठ ने इस मामले में एकलपीठ द्वारा दिए गए आदेश को भी अपास्त कर दिया।
- राज्य सरकार की ओर से एएजी एसएस लदरेचा ने अपील याचिका दायर कर कोर्ट को बताया, कि ज्ञानचंद, मांगूसिंह व सुरेश चंद सैनी ने अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया। इनके पिता अलग-अलग विभाग में कार्यरत थे। संबंधित विभाग ने यह कहते हुए नौकरी देने से इनकार कर दिया, कि इन सभी आवेदकों के एक जून 2002 के बाद तीन संतान है। अनुकंपा नौकरी देने के लिए बने हुए नियम के अनुसार एक जून 2002 के बाद दो से ज्यादा संतान नहीं होनी चाहिए।
- एएजी लदरेचा ने कोर्ट को यह भी बताया, कि एकलपीठ ने तीनों रेस्पोडेंट को अनुकंपा नौकरी देने के आदेश दिए हैं, जो कि अनुचित है। अनुकंपा नौकरी देने के नियमों में संशोधन के बाद दो से ज्यादा बच्चे होने पर किसी भी सूरत में अनुकंपा नौकरी देने के लिए आवेदन को कंसीडर नहीं किया जा सकता है। रेस्पाेडेंट की ओर से एकलपीठ के आदेश को उचित ठहराया गया।
- दोनों पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने स्पष्ट किया, कि नियमों के अनुसार दो से ज्यादा संतान होने पर अनुकंपा नौकरी नहीं दी जा सकती। खंडपीठ ने राज्य स्वीकार की अपील याचिकाएं स्वीकार करते हुए एकलपीठ के 3 फरवरी 2014, 25 मार्च 2014 व 3 नवंबर 2014 को दिए आदेश को अपास्त कर दिया।