शिक्षा विभाग में शिक्षकों के प्रशिक्षण शिविरों के दो आदेशों ने नई बहस छेड़ दी है। बहस यह है कि आखिर बच्चों को किस उम्र तक देखभाल की जरूरत है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रारंभिक शिक्षा में उन शिक्षिकाओं को प्रशिक्षण शिविर से छूट दी गई है, जिनके बच्चे की आयु 6 माह तक है। वहीं माध्यमिक शिक्षा में शिक्षिकाओं को यह छूट पांच साल के बच्चों तक के लिए दी है। एक ही विभाग में बच्चों की देखभाल के मामले में दोहरे मापदंड तय किए जाने से शिक्षकों में आश्चर्य है। हालांकि अब बजट के अभाव में और विवाद बढ़ता देख माध्यमिक शिक्षा विभाग ने प्रशिक्षण शिविरों को स्थगित कर दिया है। अब वरिष्ठ अध्यापकों के शिविर राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत होंगे। सर्व शिक्षा अभियान की ओर से कक्षा 1 से 5 तक के तृतीय श्रेणी शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी किया है। प्रशिक्षण शिविर 6 दिवसीय और पांच चरणों में होंगे। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने भी वरिष्ठ अध्यापकों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय किया था।
6 माह नहीं 5 साल तक बच्चे पर मिले छूट
एक ही विभाग में उम्र का दोहरा मापदंड अधिकारियों की समझ पर सवालिया निशान है। एक जगह 6 माह और एक जगह 5 साल। इस अंतर को दूर कर एक ही क्राइटेरिया रखा जाए कि 5 साल तक का बच्चा होगा,तो शिक्षिका को ट्रेनिंग से छूट मिलेगी। - शशिभूषण शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के शिक्षकों का प्रशिक्षण शिविर स्थगित कर दिया गया है। अब रमसा के जरिए ही शिविर होंगे। अब उम्र का क्राइटेरिया रमसा को तय करना है। - मोहन लाल स्वामी, संयुक्त निदेशक (ट्रेनिंग) माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर
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